The Definitive Guide to Shodashi

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥

The reverence for Goddess Tripura Sundari is evident in the best way her mythology intertwines Using the spiritual and social fabric, offering profound insights into the nature of existence and The trail to enlightenment.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

The devotion to Goddess Shodashi is often a harmonious mixture of the pursuit of elegance and the quest for enlightenment.

He was so effective that he created all the planet his slave. Sage Narada then asked for the Devas to conduct a yajna and from your fireplace of your yajna appeared Goddess Shodashi.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ check here को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

The above mentioned 1 is not a story but a legend and a simple fact because the man or woman blessed by Sodhashi Tripur Sundari, he will become the regal individual. He achieves every thing because of his knowledge, want and workmanship.

Her legacy, encapsulated in the colourful traditions and sacred texts, continues to guide and inspire Those people on the path of devotion and self-realization.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।

यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।

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